काव्य कूची
motibhavke.blogspot.com
तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क
(Move to ...)
Home
▼
Saturday, September 20, 2025
सत्य
बोलबाला झूठ का ऐसा बढ़ा जो जा रहा।
सत्यता ने प्रश्न पूछे नित्य रो रो क्यों सहा।।
क्यों उदासी घेरती है प्रश्न ही ये क्यों खड़ा।
झूठ की क्या जीवनी है सत्य वर्षों से अड़ा।।
अनिता सुधीर आख्या
1 comment:
Anonymous
September 21, 2025 at 12:15 PM
👏👏
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
‹
›
Home
View web version
👏👏
ReplyDelete