1)
दोहाशाला मंच पर ,लिखते मन की बात ।
सीखे नित नूतन विधा ,कितने थे अज्ञात।
गुणीजनों के साथ से ,करते सृजन अपार ,
शब्द सम्पदा से मिला ,सुंदर सुखद प्रभात ।
2)
अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत।
वीरों ने गाथा लिखी ,कहीं नहीं दृष्टांत।
कीर्ति पताका फैलती,ध्वज का ऊँचा गान,
देशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहा सिद्धान्त।
3)
ठिठुरी बूढ़ी हड्डियां ,थरथर काँपे गात।
निर्धन जन की झोपड़ी,टपकी पूरी रात ।
हाड़ कँपाती ठंड में,सभी हाल बेहाल ,
बरसें घन जो शीत में,हुये कठिन हालात।
4)
तिमिर हटाने रवि चला ,लेकर नवल प्रभात।
पतझड़ का मौसम गया, हरे हुये अब पात ।
पीली सरसों खेत में ,लगे आम पर बौर ,
धरा करे श्रृंगार अब ,खुशियों की सौगात ।
5)
बिस्तर पर की सिलवटें,बोलें पूरी बात ।
साजन हैं परदेश में ,मिला बड़ा आघात ।
विरह अग्नि में तन जले,तनिक न मिलता चैन,
खान पान की सुध नहीं,बदलें करवट रात।
6)
बोली माँ ,इस फाग में ,नहीं आ रहे तात ।
हुआ मलिन मुख लाल का,सुन कर माँ की बात ।
तात तुम्हारे पुलिस में,हँस कर सहते वार ,
पहरा दें दिन रात वो ,सेवा में तैनात ।
7)
बसिये प्रभु उर में सदा,ध्यान करूँ दिन रात।
हर धड़कन में प्रीत की ,सदा रहे बरसात ।
पनघट पर घट ले खड़ी ,मृगतृष्णा की प्यास,
प्यास बुझाते आप जो,बहता भाव प्रपात ।
अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत।
ReplyDeleteवीरों ने गाथा लिखी ,कहीं नहीं दृष्टांत।
सुंदर उपदेशों से भरा , सार्थक सृजन।
बहुत ही सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबसिये प्रभु उर में सदा,ध्यान करूँ दिन रात।
हर धड़कन में प्रीत की ,सदा रहे बरसात ।
पनघट पर घट ले खड़ी ,मृगतृष्णा की प्यास,
प्यास बुझाते आप जो,बहता भाव प्रपात ।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।
jee सादर अभिवादन आ0
Deleteबहुत ही शानदार
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
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