प्रेम का छाया नया उत्साह है।
नित नये दिन से मना सप्ताह है।
नित नये दिन से मना सप्ताह है।
बोल मुख से प्रेम के निकले नहीं
आपको मेरी कहाँ परवाह है।
आपको मेरी कहाँ परवाह है।
वासना को प्यार कहते लोग अब,
प्रेम का होता कहाँ निर्वाह है ।
प्रेम का होता कहाँ निर्वाह है ।
प्रेम निश्चित दिन यहाँ मनने लगे,
प्रेमियों को मिल रही अब राह है ।
प्रेमियों को मिल रही अब राह है ।
रंग की निखरी खुमारी देखिये ,
फाग का आया नया यह माह है।
फाग का आया नया यह माह है।
याद पुलवामा रही दिल में अभी,
बीतते पल से निकलती आह है।
बीतते पल से निकलती आह है।
अनिता सुधीर
आपको मेरी कहाँ परवाह है. . .
ReplyDeleteसच में किसी को कहाँ किसी की परवाह हैं,
कोई खेत में खेत के लिए मरे,
कोई सीमा पर देश के लिए मरे।