तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, February 14, 2020

प्रेम


मापनी- 2122 2122 212
पदांत- है समांत- आह
***
प्रेम का छाया नया उत्साह है।
नित नये दिन से मना सप्ताह है।

बोल मुख से प्रेम के निकले नहीं
आपको मेरी कहाँ परवाह है।

वासना को प्यार कहते लोग अब,
प्रेम का होता कहाँ निर्वाह  है ।

प्रेम निश्चित दिन यहाँ मनने लगे,
प्रेमियों को मिल रही अब राह है ।

रंग की निखरी खुमारी देखिये ,
फाग का आया नया यह माह है।

याद पुलवामा रही दिल में अभी,
बीतते पल से निकलती आह है।

अनिता सुधीर

1 comment:

  1. आपको मेरी कहाँ परवाह है. . .
    सच में किसी को कहाँ किसी की परवाह हैं,
    कोई खेत में खेत के लिए मरे,
    कोई सीमा पर देश के लिए मरे।

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