तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, July 31, 2020

नई शिक्षा नीति


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भारत शिक्षा नीति में,करे बड़ा बदलाव।
सभी वर्ग के साथ से,उत्तम मिले सुझाव ।।

निज भाषा में ज्ञान से,सम्प्रेषण आसान।
पाठ समझते थे नहीं,रटना था अभियान ।।

करे क्षेत्रीय बोलियां,संस्कृति का उत्थान।
उचित दिशा निर्देश से,करें नीति का मान।।

कक्षा छह प्रारंभ से,अधुना शिक्षण ज्ञान।
रोजगार अभियान है,लक्ष्य यही अब जान।।

मानविकी विज्ञान को,पढ़ें साथ ही साथ।
लाभप्रद है योजना,मिटे सभी के क्वाथ।।

शिक्षा छूटे मध्य यदि,नहीं अभी नुकसान।
पूर्ण करें अब बाद में,ले इसका संज्ञान ।।

कार्य चुनौती पूर्ण है,और नियम भी खास।
नींव बने मजबूत अब,लगी यही है आस।।

अनिता सुधीर आख्या





Wednesday, July 29, 2020

मोह


#मोह
#दोहा गीत
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प्रेम मोह में भेद कर,हे मानव विद्वान।
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।

त्याग समर्पण प्रेम है,प्रेम रहे निस्वार्थ।
प्रेम लीनता मोह है,समझें यही यथार्थ।।
पुत्र मोह धृतराष्ट्र सम,होता गरल समान
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।

प्रेम मोह को साथ रख,करें उचित व्यवहार।
सीमा में रख मोह को ,यही प्रेम आधार।।
हरिश्चंद्र के प्रेम का,दिव्य रूप पहचान।
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।

शत्रु मनुज के पांच ये,काम क्रोध अरु लोभ।
उलझे माया मोह जो,मन में रहे विक्षोभ।।
उचित समन्वय साधिए,जीवन का उत्थान
रेख बड़ी बारीक है,मूल तत्व को जान।।

अनिता सुधीर आख्या

Thursday, July 23, 2020

सावन

सावन गीत

बरसे मेघा बरसी अँखियाँ,
सावन हिय को तड़पाये।
धरती पर फैला सन्नाटा,
तम के बादल हैं छाए ।।

बाग बगीचे सूने लगते,
झूले मौन बुलाते हैं
याद सताती सखियों की अब,
कँगना शोर मचाते हैं
कजरी घेवर को मन तरसे,
तीजों पर काले साए।।

कांवड़िया यह राह देखता,
कैसे अब अभिषेक करें
दुग्ध धार गंगाजल अर्पण
आक धतूरा शीश धरें
बिल्व पत्र शंकर को प्यारा,
उनको अर्पण कर आए

विपदा चारों ओर खड़ी है,
बम बम भोले कष्ट हरो
नृत्य दिखा कर तांडव फिर से,
धरती के दुख दूर करो
सावन में मन की हरियाली,
लौट लौट फिर आ जाए

अनिता सुधीर










Saturday, July 18, 2020

क्यूँ लिखूँ

क्यूँ लिखूँ, मैं क्यूँ लिखूँ
यक्ष प्रश्न सामने खड़ा
इसका जवाब
चेतना अवचेतना में गड़ा
मैं मूढ़ अल्पज्ञानी खोज रही जवाब
और मस्तिष्क कुंद हुआ पड़ा
प्रश्न ओढ़े रहा नकाब
अब तक न मिला जवाब!
प्रश्न से ही प्रश्न?
अगर न लिखूँ ........
क्या बदल जायेगा!
अनवरत वैसे ही चलेगा
जैसे औरों के न लिखने से .....
मैं सूक्ष्म कण मानिंद
अनंत भीड़ में लुप्त
संवेदनाएं,वेग आवेग उद्वेलित करती
घुटन उदासी की धुंध
विचार गर्भ में ही मृतप्रायः
और मैं सूक्ष्म से शून्य की यात्रा पर..
 यह जवाब समाहित किये 
 में क्यूँ लिखूँ 
सूक्ष्म से विस्तार की
यात्रा के लिए ...










Tuesday, July 14, 2020

गजल

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तुम्हारी ख्वाहिशों को आसमाँ कोई नहीं देगा।
बढ़ी जब प्यास होगी तो कुआँ कोई नहीं देगा।।

लिया करता जमाना ये कभी जब इम्तिहाँ मेरा,
सहारा मतलबी जग में यहाँ कोई नहीं देगा ।

खड़ी की मंजिलें ऊँची टिकी जो झूठ पर रहती
यहाँ सच के लिए तो अब बयाँ कोई नहीं देगा ।।

चली अब नफरतों की आंधियाँ हर ओर ही देखो
रहें जो दहशतों में सब जुबाँ कोई नहीं देगा ।।

डसा करते रहे हरदम भरोसा हम किये जिन पर
कभी सुख चैन से जीने यहाँ कोई नहीं देगा ।।

तराशे पत्थरों को अब  उठाना कौन चाहे है
गिराने पर लगे सब आसमाँ कोई नहीं देगा।।

अनिता सुधीर
©anita_sudhir

Saturday, July 11, 2020

गजल


काफिया आर
रदीफ़     कर
2122  2122 2122 212

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कब सफर पूरा हुआ है जिन्दगी का हार कर ।
मंजिलों की शर्त है बस मुश्किलों को पार कर।।

साथ मिलता जब गमों का वो मजा कुछ और है
कर सुगम तू राह उनसे हाथ अब दो चार कर ।।

मुश्किलों के दौर में बस हार कर मत बैठना
आसमां को नाप लेंगे आज ये इकरार कर ।।

वक़्त की इन आँधियों में क्या बिखरना है सही
दीप जलता ही रहेगा इस हवा से प्यार कर।।

आशियाने आरजू के हैं वहीं  पर  टूटते ।
बेवजह यूँ हर किसी पर मत कभी इतबार कर।।

ख्वाहिशों के आसमां में जब  सितारे टाँकना
हौसला रख चाँदनी का जिंदगी उजियार कर ।।

अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, July 8, 2020

इश्क़ और बेरोजगारी



बाली उमरिया देखिए, लगा इश्क़ का रोग
साथ चाहिए छोकरी,नहीं नौकरी योग ।।

रखते खाली जेब हैं,कैसे दें उपहार।
प्रेम दिवस भी आ गया,चढ़ता तेज बुखार।।

दिया नहीं उपहार जो,कहीं न जाये रूठ।
रोजगार तो है नहीं,उससे बोला झूठ ।।

स्वप्न दिखाए थे उसे,ले आऊँगा चाँद ।
अब भीगी बिल्ली बने,छुप जाऊँ क्या माँद।।

साथ छोड़ते दोस्त भी,देते नहीं उधार ।
जुगत भिड़ानी कौन सी,आता नहीं विचार।।

भोली भाली माँ रही,पूछे नहीं सवाल ।
बात बात पर रार जो,पापा करते बवाल।।

नहीं दिया उपहार जो,साथ गया यदि छूट।
लिए अस्त्र तब चल पड़े,करनी है कुछ लूट।

मातु पिता का मान अब ,सरेआम नीलाम।
आये ऐसे दिन नहीं,थामो इश्क़ लगाम ।।

रोजगार अरु इश्क़ में,कमोबेश ये तथ्य ।
दोनों का ही साथ हो ,जीवन सुंदर कथ्य ।।

अनिता सुधीर आख्या

















Sunday, July 5, 2020

गुरु



*गुरु*

दोहा छन्द गीत
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गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
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अनगढ़ माटी के घड़े,उत्तम देते ढाल ,
नींव दिये संस्कार की ,नैतिक होगा काल।
पहले गुरु माता पिता,दूजा ये संसार।
सद्गुरु का जो साथ हो,जीवन धन्य अपार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
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दूर करें मन का तमस,करें दुखों का नाश।
अध्यातम की लौ जला,उर में भरे प्रकाश।
गुरु बिन ये मन कब सधे,भरे ज्ञान भंडार।
मिलता गुरु आशीष जब,भवसागर से पार ।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
***
श्रद्धा अरु विश्वास से ,चित्त साध लें आज।
पथ प्रशस्त करिये सदा ,पूरन मङ्गल काज।
बिना आपके कुछ नहीं,गुरु जीवन आधार।
अन्तस उजियारा करे,महिमा अपरम्पार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
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अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, July 1, 2020


डॉक्टर्स डे
कुंडलिया
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धरती के भगवान को,शत शत करें प्रणाम ।
मानव सेवा धर्म में,कर्म करें निष्काम ।।
कर्म करें निष्काम, स्वयं की निजता खोते ।
काम करें दिन रात,जगे होकर ये सोते ।।
नतमस्तक हूँ आज,नमन मैं इनको करती ।
देते जीवन दान,सुखी हो इनसे धरती ।।

अनिता सुधीर आख्या