तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, June 17, 2022

कैक्टस के फूल



मरुथल में

एक फूल खिला 

कैक्टस का 

तपते रेगिस्तान में

दूर-दूर तक रेत ही रेत 

वहाँ खिल कर देता ये संदेश

विपरीत स्थितियों में

कैसे रह सकते शेष 

फूल खिला सबने देखा 

पौधे को किसने सोचा?

स्वयं को ढाल लिया

विपरीत के अनुरुप

अस्तित्व को बदला कांटो में

संग्रहित कर सके जीवन जल 

 और खिल सके पुष्प ।

ऐसे ही नही खिलता 

मानव बगिया मे कोई पुष्प,

माली को ढलना पड़ता है

परिस्थिति के अनुरूप ।।


अनिता सुधीर







 

6 comments:

  1. अति सुंदर एवं भावपूर्ण सृजन 💐💐💐💐🙏🏼

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  2. बहुत ही सुदंर दी शानदार सृजन👏👏

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  3. अत्यंत सार्थक सृजन🙏

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  4. बहुत सुन्दर !
    परिस्थितियों के अनुरूप ख़ुद को ढाल सकने वाला ही ज़िंदगी में कामयाब हो सकता है.

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  5. जीवन एवं संसार के शाश्वत सत्य का उद्घाटन करता है यह काव्यमय सृजन।

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