मरुथल में
एक फूल खिला
कैक्टस का
तपते रेगिस्तान में
दूर-दूर तक रेत ही रेत
वहाँ खिल कर देता ये संदेश
विपरीत स्थितियों में
कैसे रह सकते शेष
फूल खिला सबने देखा
पौधे को किसने सोचा?
स्वयं को ढाल लिया
विपरीत के अनुरुप
अस्तित्व को बदला कांटो में
संग्रहित कर सके जीवन जल
और खिल सके पुष्प ।
ऐसे ही नही खिलता
मानव बगिया मे कोई पुष्प,
माली को ढलना पड़ता है
परिस्थिति के अनुरूप ।।
अनिता सुधीर
अति सुंदर एवं भावपूर्ण सृजन 💐💐💐💐🙏🏼
ReplyDeleteबहुत ही सुदंर दी शानदार सृजन👏👏
ReplyDeleteअत्यंत सार्थक सृजन🙏
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteपरिस्थितियों के अनुरूप ख़ुद को ढाल सकने वाला ही ज़िंदगी में कामयाब हो सकता है.
जीवन एवं संसार के शाश्वत सत्य का उद्घाटन करता है यह काव्यमय सृजन।
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