१)
शरद पूर्णिमा की रात में
अमृत बरसता रहा ,
मानसिक प्रवृतियों के द्वंद में
कुविचारों के हाथ
लग गया अमृत ...
अब वो अमर होती जा रहीं हैं...
२)
दौलत की भूख़ ने
आँखो पर बाँधी पट्टी
ईमान को बेच
मुल्क के अस्मिता
की बोली लगा
भूख ,करोड़ों अरबों की लगाई
क्या तनिक भी इन्हे लाज न आई
३)
पूजास्थलों मे दौलत
का अंबार लगा
भिखारी बाहर
भूख और ठंड से
बेहाल नजर आए,
ऐ !प्रभु के बंदे
तू अब तक दौलत का
सही उपयोग न सीख पाये ।
अनिता सुधीर आख्या
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 01 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सादर आभार
Deleteक्षणिकाओं के माध्यम से विसंगतियों को दर्शाया गया है । बहुत खूब म
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteयही विरोधाभास जीवन को जटिल बनाता है
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुंदर सराहनीय सृजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिकाएं
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteसराहनीय
ReplyDeleteDhanyawad
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