कैलाशी को पूजिये, पावन सावन मास।
आदि अनंता रूप से, लगी कृपा की आस।।
साँपों की माला धरे, कर में लिये त्रिशूल।
सोहे गंगा शीश पर, शंकर जग के मूल।।
डमरू हाथों में लिये,ओढ़े मृग की छाल।
करते ताण्डव नृत्य जब,रूप धरे विकराल।।
महिमा द्वादश लिंग की ,अद्भुत अपरम्पार।
पुष्प समर्पित है तुम्हें,विनती बारम्बार ।।
मंदिर मंदिर सज गये,जाना शिव के द्वार।
नागदेवता पूजते ,भरो ज्ञान भंडार ।।
शिव शंकर को प्रिय लगे,बेल धतूरा खास।
दुग्ध धार अर्पित करें ,इस सावन के मास।।
अनिता सुधीर आख्या
ॐ नमः शिवाय । बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteजी सादर आभार
ReplyDelete