कुछ क्षणिकाएं
दोस्ती पर
***
छोटी सी दुनिया थी मेरी
एक मैं और एक दोस्ती तेरी ,
दोस्ती वह सच्ची थी
पल में कुट्टी ,पल में मुच्ची थी।
मैं जब भी राह भटकी
तुम हाथ मेरा थाम के
सहारा बन जाते
वर्षों बाद भी मेरी दुनिया
उतनी ही छोटी
और तुम्हारी.....?
2)
दोस्ती की नींव
के पत्थर ,
बहस करते हुए ...
मित्रता की बुनियाद
मैं संभाले हुए
तभी कांच की
छनाक आवाज
किरक चुभी थी
दीवारों में दरार
पड़ी तभी थी ।
अनिता सुधीर आख्या
सुन्दर
ReplyDeleteजब सब कुछ बदलता है तो दोस्ती भी तो इसी दुनिया की पैदाइश है
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर!
ReplyDelete