Wednesday, July 10, 2024

दोस्ती

 कुछ क्षणिकाएं 

 दोस्ती पर

***

छोटी सी दुनिया थी मेरी 

एक मैं और एक दोस्ती तेरी ,

दोस्ती वह सच्ची थी

पल में कुट्टी ,पल में मुच्ची थी।

मैं जब भी राह भटकी 

तुम हाथ मेरा थाम के

सहारा बन जाते 

वर्षों बाद भी मेरी दुनिया

उतनी ही छोटी 

और तुम्हारी.....?


2)


दोस्ती की नींव 

के  पत्थर ,

बहस करते हुए ...

मित्रता की बुनियाद  

मैं संभाले हुए 

तभी कांच की 

छनाक आवाज 

किरक चुभी थी

दीवारों में दरार 

पड़ी  तभी थी ।



अनिता सुधीर आख्या 



3 comments:

  1. जब सब कुछ बदलता है तो दोस्ती भी तो इसी दुनिया की पैदाइश है

    ReplyDelete
  2. वाह! बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...