तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Monday, July 8, 2024

चक्र

चक्र

मूलाधार

चार पंखुड़ी का कमल,रंग चक्र का लाल।

साधे मूलाधार को,ऊँचा होगा भाल।।

**स्वाधिष्ठान

श्रोणि क्षेत्र के चक्र को,कहते स्वाधिष्ठान।

रंग संतरी सूर्य का, करता ऊर्जावान।।

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मणिपुर

नाभि क्षेत्र के चक्र में,पीत रंग उल्लास।

पाएँ मणिपुर ध्यान से,बुद्धि ज्ञान विश्वास।।

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अनाहत

चक्र हृदय के मध्य में,हरित अनाहत ध्यान।

प्रेम भाव संचार से, हुआ सतो गुण गान।।

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विशुद्धि 

कंठ ग्रंथि के चक्र से,होती गरल विशुद्धि।

मनोभाव को शुद्ध कर,मिली संतुलित बुद्धि।।

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आज्ञा चक्र

नयन तीसरा ज्ञान का,प्रभु का आज्ञा द्वार।

देखें अंतर्ज्योति से ,अंतस का संसार।।

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सहस्त्रार

गुरु का सहस्त्रार में,साधक करता ध्यान।

तन मन का एकीकरण,मिला मौन का ज्ञान।।

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अनिता सुधीर आख्या 

8 comments:

  1. Sateek vyakhya

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    1. सादर आभार आ0

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  2. उत्कृष्ट रचना, सटीक व्याख्या के साथ

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    1. हार्दिक धन्यवाद आ0

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  3. इस रचना हेतु एक ही शब्द कह सकता हूँ - उत्कृष्ट

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  4. सादर प्रणाम आ0

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  5. साधना के लिए चक्रों के बारे में सुंदर और सटीक जानकारी, सुंदर सृजन !

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