मॉं ब्रह्मचारिणी के चरणों में पुष्प
ब्रह्मचारिणी रूप में,माँ अम्बे को पूजिए।
कर्म शक्ति अनुरूप ही,कठिन तपस्या कीजिए।।
अक्ष,कमंडल हाथ में,देवि नाम की भव्यता।
प्रेम त्याग तप साधतीं,मातु रूप में दिव्यता।।
मनोकामना पूर्ण हो,चंद्रमौलि के ध्यान से।
कठिन तपस्या अब करें,बिल्व पत्र फल पान से।।
ब्रह्मचर्य की साधना धीरज सयंम जानिए।
सदाचार एकाग्रता, पूजन विधि ये मानिए।।
स्वाधिष्ठानी चक्र को,साधक मन जागृत करे।
विचलित चंचल मन सधे,शांत भाव झंकृत करे।।
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteजय माता की 🙏 🚩
चौथा नवरात्र मां कुष्मांडा का आशीर्वाद सभी भक्तों पर सदा बना रहे 🙏