तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, October 4, 2024

मॉं ब्रह्मचारिणी

मॉं ब्रह्मचारिणी के चरणों में पुष्प 

ब्रह्मचारिणी रूप में,माँ अम्बे को पूजिए।
कर्म शक्ति अनुरूप ही,कठिन तपस्या कीजिए।।

अक्ष,कमंडल हाथ में,देवि नाम की भव्यता।
प्रेम त्याग तप साधतीं,मातु रूप में दिव्यता।।

मनोकामना पूर्ण हो,चंद्रमौलि के  ध्यान से।
कठिन तपस्या अब करें,बिल्व पत्र फल पान से।।

ब्रह्मचर्य की साधना धीरज सयंम जानिए।
सदाचार एकाग्रता, पूजन विधि ये मानिए।।

स्वाधिष्ठानी चक्र को,साधक मन जागृत करे।
विचलित चंचल मन सधे,शांत भाव झंकृत करे।।

अनिता सुधीर आख्या

5 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक आभार

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  2. मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

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  3. बहुत सुन्दर।

    जय माता की 🙏 🚩
    चौथा नवरात्र मां कुष्मांडा का आशीर्वाद सभी भक्तों पर सदा बना रहे 🙏

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