तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Wednesday, February 12, 2020

नारी


नारी का अपमान कर,करते क्यों उपभोग।
विज्ञापन में छाप के ,कैसा करा प्रयोग ।
कैसा करा प्रयोग ,समझते भोग्या उसको।
हुआ पतन जो आज,कहाँ चिंता अब किसको।
सकल सृजन की सार ,वस्तु बनती बेचारी ।
रही धुरी परिवार,प्रेम की मूरत नारी ।

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