नारी का अपमान कर,करते क्यों उपभोग।
विज्ञापन में छाप के ,कैसा करा प्रयोग ।
कैसा करा प्रयोग ,समझते भोग्या उसको।
हुआ पतन जो आज,कहाँ चिंता अब किसको।
सकल सृजन की सार ,वस्तु बनती बेचारी ।
रही धुरी परिवार,प्रेम की मूरत नारी ।
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं प्रणय के राग गाने को,गगन में चाँद आता है। अमर अहिवात जन्मों तक,सुहागन को सुनाता है।। करे शृंगार जब नारी,कलाए...
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