तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Thursday, July 25, 2024

कौवा

जब सिया को कौवे की कहानी सुनाते थे तो कहती थी सिया उसके लिए स्ट्रॉ ले आएगी ।


एक कौवा प्यासा था ।
पानी के लिए तरसा था।।

तब उसने देखा एक घड़ा
उसमें पानी नीचे पड़ा।।

सोच रहा था कंकड़ डालें।
झट पट पानी को पा लें।।

एक लड़की है प्यारी सी।
उसकी बातें  न्यारी सी।।

अच्छे काम वो करती है
सबकी हेल्प वो करती है।।

दौड़ गई वो स्ट्रॉ लाने ।
उस कौवे की प्यास बुझाने।।  

कौवा बड़ा सयाना था ।
पानी पीना ठाना था।।

चोंच में फिर स्ट्रॉ दबाई 
पानी पीकर प्यास बुझाई।।

अपने पंखों को खोला 
कांव कांव कह थैंक्यू बोला 

बहुत जरूरी है पानी 
ऐसा कहती है नानी ।।

अनिता सुधीर

Friday, July 12, 2024

Wednesday, July 10, 2024

दोस्ती

 कुछ क्षणिकाएं 

 दोस्ती पर

***

छोटी सी दुनिया थी मेरी 

एक मैं और एक दोस्ती तेरी ,

दोस्ती वह सच्ची थी

पल में कुट्टी ,पल में मुच्ची थी।

मैं जब भी राह भटकी 

तुम हाथ मेरा थाम के

सहारा बन जाते 

वर्षों बाद भी मेरी दुनिया

उतनी ही छोटी 

और तुम्हारी.....?


2)


दोस्ती की नींव 

के  पत्थर ,

बहस करते हुए ...

मित्रता की बुनियाद  

मैं संभाले हुए 

तभी कांच की 

छनाक आवाज 

किरक चुभी थी

दीवारों में दरार 

पड़ी  तभी थी ।



अनिता सुधीर आख्या 



Monday, July 8, 2024

चक्र

चक्र

मूलाधार

चार पंखुड़ी का कमल,रंग चक्र का लाल।

साधे मूलाधार को,ऊँचा होगा भाल।।

**स्वाधिष्ठान

श्रोणि क्षेत्र के चक्र को,कहते स्वाधिष्ठान।

रंग संतरी सूर्य का, करता ऊर्जावान।।

**

मणिपुर

नाभि क्षेत्र के चक्र में,पीत रंग उल्लास।

पाएँ मणिपुर ध्यान से,बुद्धि ज्ञान विश्वास।।

**

अनाहत

चक्र हृदय के मध्य में,हरित अनाहत ध्यान।

प्रेम भाव संचार से, हुआ सतो गुण गान।।

**

विशुद्धि 

कंठ ग्रंथि के चक्र से,होती गरल विशुद्धि।

मनोभाव को शुद्ध कर,मिली संतुलित बुद्धि।।

**

आज्ञा चक्र

नयन तीसरा ज्ञान का,प्रभु का आज्ञा द्वार।

देखें अंतर्ज्योति से ,अंतस का संसार।।

**

सहस्त्रार

गुरु का सहस्त्रार में,साधक करता ध्यान।

तन मन का एकीकरण,मिला मौन का ज्ञान।।

**

अनिता सुधीर आख्या 

Wednesday, July 3, 2024

वेदना

 वेदना


स्वप्न सुनहरे धोखा देकर,जा छिपते जग गलियारों में

तभी विवश हो बैठा मानव,भटक गया उर अंधियारों में

सुख  पाने की आस लगाए,लगा रहा पाखंडी चक्कर

भीडतंत्र का बन कर किस्सा,प्राण गवाए जयकारों में।।


अनिता सुधीर आख्या