Saturday, October 21, 2023

पाखंड

 पाखंड



नवगीत


मीन छल से जब निगलते

ढोंग हँसता खिलखिलाकर


वस्त्र उजले श्याम मन के

दीप बाती कर रहे हैं

दाग को  मैला करे अब

हुंडियाँ वो भर रहे हैं

धर्म में फिर धन घुसा जो

मर्म भागा चिड़चिड़ाकर।।

ढोंग..


जब हवा ले साथ चलती

बात ये पगडंडियों की

तर्क का सूरज डुबाते

जीत फिर पाखंडियों की

धर्म का ये डर दिखाते

पाप की घंटी बजाकर।।

ढोंग..


भक्त बगुले लीन तप में 

श्राद्ध पूजे नीतियों को

मंदिरों में इष्ट बेबस

देख जग की रीतियों को

श्वेत बगुला हँस रहा है

हंस रोता तिलमिला कर।।

ढोंग..


अनिता सुधीर आख्या

Sunday, October 15, 2023

माँ शैलपुत्री की आराधना



पुष्पांजलि

शारदीय नवरात्र का,आज हुआ आरम्भ फिर।
जगजननी करिये कृपा,तभी मिटे उर दम्भ फिर।।

शक्ति रूप की साधना,शुभ फलदायक जानिए ।
दुर्गा नौ अवतार को,उन्नति का पथ मानिए।।

योग साधना चक्र की,मन हो मूलाधार में।
शंकर की अर्धांगिनी ,चेतन के संचार में।।

शैल पुत्री के रूप को,प्रथम दिवस में पूजते।
घटस्थापना देख के,मन मंदिर फिर गूँजते।।

पर्वत की बेटी धरे,अर्ध चंद्र को शीश पर।
कमल पुष्प त्रिशूल लिए,आओ नंदी बैल पर।।

कुमकुम चावल पुष्प से ,करें मातु आराधना।
पापनाशिनी पाप हर,भवबंधन से तारना ।।

अनिता सुधीर आख्या

Sunday, October 8, 2023

गीतिका

 आल्हा छन्द आधारित गीतिका


विषय निरर्थक बोल रहे जो,उनको मन से सुनता कौन।

सदा बोलना सोच समझ कर,ऐसी वाणी चुनता कौन।।


आलोचक बन राह दिखाए,या बोले जो मीठे बोल

संबंधों में सगा कौन है,समझ सत्य की गुनता कौन।।


नियमों की नित धज्जी उड़ती,चौराहों पर हुक्का बार।

युवा बहकते मयखानों में,इन पर अब सिर धुनता कौन।।


क्षणिक खुशी पाने को जब भी,पथ अपनाते हैं आसान

दूर खड़ी मंजिल फिर कहती,स्वप्न हमारे बुनता कौन।।


सिद्ध करें सार्थकता अपनी,सह कर नित जीवन का ताप

भड़भूजे की भाड़ सिखाती,बिना अग्नि के भुनता कौन।।


अनिता सुधीर आख्या

लखनऊ


देव दीपावली

दीप माला की छटा से,घाट सारे जगमगाएं। देव की दीपावली है,हम सभी मिल कर मनाएं।। भक्ति की डुबकी लगाएं,पावनी जल गंग में जब, दूर करके उर तमस को,दि...