मकर संक्रांति
मकर राशि में सूर्य जब, करें स्नान अरु दान।
उत्सव के इस देश में, संस्कृति बड़ी महान ।।
सुत की मङ्गल कामना, माता करे अपार।
तिल लड्डू को पूज कर,करे सकट त्यौहार।।
मूँगफली गुड़ रेवड़ी,धधक रही अंगार ।
नृत्य भाँगड़ा लोहड़ी,करे शीत पर वार ।।
खिचड़ी पोंगल लोहड़ी, मकर संक्रांति नाम।
नयी फसल तैयार है, झूमें खेत तमाम ।।
रंग बिरंगी उड़ रही ,अब पतंग चहुँ ओर ।
मन पाखी बन उड़ रहा, पकड़े दूजो छोर।।
जीवन झंझावात में ,मंझा रखिये थाम ।
संझा दीपक आरती ,कर्म करें निष्काम ।।
उड़ पतंग ऊँची चली, मंझा को दें ढील।
मंझा झंझा से लड़े ,सदा रहे गतिशील।।
ऋतु परिवर्तन जानिये, नव मधुमास बहार।
पीली सरसों खेत में ,धरा करे शृंगार।।
उर में प्रेम मिठास से, लिखिए पर्व विधान।
संकट के बादल छँटें,आये नव्य विहान।।
अनिता सुधीर आख्या
पूरे देश में मनाए जाने वाला ये त्योहार विभिन्न नामों से मनाया जाता है। सुंदर रचना
ReplyDelete💐💐
Deleteअत्यंत अद्भुत रचना🙏नमन। त्योहार एक है, नाम अनेक। भावना एक है, मनाने के तरीके अनेक🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार गुंजित
Deleteवाह, बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteसंक्राँति पूर्व की विविधता को समटती उत्कृष्ट रचना 💐💐💐🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteसुंदर प्रस्तुति .त्योहार और मौसम का अदभुत संयोजन.
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ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति .त्योहार और मौसम का अदभुत संयोजन.
मीना निगम
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धन्यवाद मीना
Deleteसुंदर रचना आए नव्य विहान
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteउत्कृष्ट रचना Anitaji और संक्राँति पूर्व की ढेरों शुभकामनाएं 💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुन्दर बहुत बधाई दी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteअप्रतिम💐💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteहार्दिक आभार आ0
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत दोहे!
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