Wednesday, February 26, 2025

शिव विवाह

शिव विवाह


त्रिनेत्र सुशोभित चंद्र ललाट, त्रिशूल लिए कर साज चलें हैं।

विचित्र लगे शिव कंठ भुजंग,बरात पिशाच समाज चले हैं।।

विभूति लगे तन मुंड कपाल,मृदंग लिए सब बाज चले हैं।

विराज रहे तब देव सुजान, विमान सजा अधिराज चलें हैं।।

No comments:

Post a Comment

कात्यायनी माता के चरणों में पुष्प *** कात्यायन ऋषि की सुता,अम्बे का अवतार हैं। छठे दिवस कात्यायनी, वंदन बारम्बार है।। दानव अत्याचार से,मिला ...