वेलेंटाइन डे
प्रेम
प्रेम क्या है..
कौन करे परिभाषित इसको,लिखे कौन आख्यान भी।
सरल सहज हो प्रेम सरस लिख,करें यही आह्वान भी।।
संवेदन मन में सत्य विचर,ले कर्मों की दिव्यता,
प्रेम साधना प्रेम तपस्या,यही प्रेम ईमान भी।।
सहनशीलता गुण रखते जो,उनको निर्बल मान क्यों
परिवारों की धुरी बने वह,लिखे प्रेम बलिदान भी।।
संबंधों की अपनी गरिमा,सबका एक महत्त्व है,
परहित में जब जीवन अर्पण,बने प्रेम पहचान भी।।
माँग रहे अधिकार सदा क्यों,रखें बोध कर्तव्य का,
सीख लिया जब देना पहले,लिखा प्रेम उत्थान भी।।
सभ्य नागरिक बन जो करते,पालन नित कानून का
जुड़े जड़ों से जब रहते हैं,लिखते प्रेम उड़ान भी।।
सीमाओं पर डटे हुए जो,हार कहाँ वह मानते।
ओढ़ तिरंगा सो जाते जब,लिखते प्रेम महान भी।।
हर मौसम का वार सहे जब,भरें अन्न भंडार को,
स्वेद बूँद इतरा कर कहती,लिखो प्रेम खलिहान भी।।
करें द्वार संवाद सभी जब,मध्य नहीं दीवार हो,
तुलसी चौरा बूढ़ा बरगद,लिखे प्रेम दालान भी।।
सब धर्मों की एका में ही,भारत का कल्याण है
मानव का मानव से रिश्ता,लिखे प्रेम अभियान भी।।
अनिता सुधीर आख्या
लखनऊ
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ReplyDeleteबहुत अच्छा। सच्चा प्रेम कभी भी अपने अधिकार की बात नहीं करता बल्कि प्रेम से त्याग और कर्तव्य की नैसर्गिक भावना उत्पन्न होती है। आपने बहुत अच्छा लिखा दी।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में गुरुवार 19 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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