Thursday, June 24, 2021

नीयत



नवगीत


भोली सूरत उर खोटा

नीयत पर चढ़ नीम करेला
बींध रहा कबसे तन मन

प्रश्न निरर्थक डेरा डाले
फाँस बने हैं गरदन की
मर्यादा पर अमर बेल चढ़
घाव बढ़ाती मर्दन की
कंटक के तरुवर को सींचा
पुष्प महकता कब उपवन।।

क्षुद्र विचारों की गपशप थी
भूल गए वो भावों को
अफवाहों का बाजार गरम
शूल चुभोया पाँवो को
बिल्ली खिसियानी घूम रही
तोड़े छींका हर आँगन।।

काँव काँव के ठेके में है
भोली सूरत उर खोटा
गिरगिट लज्जा से देख रहा
नाम बड़ा दर्शन छोटा
वैचारिक अतिक्रमण का फिर
ध्वजा लिए चलता अनबन।।

अनिता सुधीर आख्या











4 comments:

महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं घुड़कियाँ घर के पुरुष की तर्क लड़ते गोष्ठियों में क्यों सदी रो कर गुजारी अब सभा चर्चा करे यह क्यों पुरु...