तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Wednesday, August 31, 2022

गणेश




गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं

गणेश वंदना (चामर छन्द) 

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रिद्धि सिद्धि साथ ले गणेश जी पधारिये।

ग्रंथ हाथ में धरे विधान को विचारिये।

देव हों विराजमान आसनी बिछी हुई।

थाल में सजा हुआ सुभोग तो लगाइये।।


प्रार्थना कृपा निधान कष्ट का निदान हो

भक्ति भाव से भरा सुजान ही प्रधान हो ।

मूल तत्व हो यही समाज में समानता,

हे दयानिधे! दया ,सुकर्म का बखान हो ।।


ज्ञान दीजिये प्रभू अहं न शेष हो हिये।

त्याग प्रेम रूप रत्न कर्म में सदा जिये।

नाम आपका सदा विवेक से जपा करें,

आपका कृपालु हस्त शीश पे सदा लिये।।


अनिता सुधीर आख्या




Sunday, August 28, 2022

Thursday, August 25, 2022

तुम्हारी आँखों में

 तुम्हारी आँखों में...



गजल


जीवन का मनुहार, तुम्हारी आँखों में।

परिभाषित है प्यार, तुम्हारी आँखों में।।


छलक-छलक कर प्रेम,भरे उर की गगरी।

बहे सदा रसधार, तुम्हारी आँखों में।।


तुम जीवन संगीत, सजाया मन उपवन

भौरों का अभिसार, तुम्हारी आँखों में।।


पूरक जब मतभेद, चली जीवन नैया

खट्टी-मीठी रार, तुम्हारी आँखों में।।


रही अकिंचन मात्र, मिला जबसे संबल

करे शून्य विस्तार, तुम्हारी आँखों में।।


किया समर्पण त्याग, जले बाती जैसे

करे भाव अँकवार, तुम्हारी आँखों में।।


जीवन की जब धूप, जलाती थी काया

पीड़ा का उपचार, तुम्हारी आँखों में।।


अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, August 24, 2022

राधा


 सवैया

राग-विराग सुभाव लिए ,दृग लाज भरे वृषभानु सुता।

मोहन साज सँवार करें, वह भूल गए अपनी नृपता।।

प्रीत भरें वह कुंज गली,निखरी तब कृष्ण सखा पृथुता ।

दिव्य अलौकिक दृश्य लिए,हिय में बसती प्रभु की प्रभुता।।


अनिता सुधीर आख्या



Friday, August 19, 2022

श्री कृष्ण


 सरसी छन्द आधारित गीत

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सखा प्रभो की लीला न्यारी,अद्भुत है आख्यान।
एक कृष्ण में भाव विविध हैं,कैसे करूँ बखान।।

दिवस अष्टमी पक्ष अँधेरा,भाद्र मास की रात।
द्वापर युग जन्मे अनिरुद्धा,ईशमयी सौगात।।
अच्युत मोहन कृष्ण कन्हैया,माधव के अवतार।
दिव्य भाव में नेक प्रयोजन ,दुष्टों का संहार।।
पूर्ण कामना मातु पिता की,निरखि रूप संतान।।
एक कृष्ण..


बन्दी गृह में अद्भुत लीला,खुलते गृह के द्वार।
चले तात संतति को लेकर,यमुना नीर अपार।।
धन्य हुई गोकुल की गलियां,आया माखनचोर।
मातु यशोदा पुलकित हर्षित,बाबा नंद विभोर।।
मोर मुकुट धर रूप अनोखा,नटखट भाव प्रधान।
एक कृष्ण..

बाँसुरिया की मोहक धुन पर,झूम उठे सब ग्वाल।
वस्त्र गोपियों का हर कर वो,छिपा कुंज की डाल।।
रास रचें कान्हा निधिवन में,राधा रानी संग।
देख अंगुली पर गोवर्धन,मन में भरे उमंग।।
बाल सुलभ लीला का करते,आज सभी गुणगान ।
एक कृष्ण..

सखा रूप का भाव निराला ,भरे आँख में नीर।
लाज बचाने दौड़ पड़े जब,सुनी द्रौपदी पीर।।
विरह अग्नि को राधा सहतीं,श्याम द्वारिका धाम।
प्रेमभाव पर्याय युगों तक ,प्रेम राधिका नाम ।।
श्याम प्रेम में डूबी मीरा,करें इष्ट का ध्यान।
एक कृष्ण..

बने सारथी अर्जुन के जब,बतलाया था मर्म।
कर्म श्रेष्ठ मानव जीवन में,मार्ग वही सत्धर्म।।
चक्र सुदर्शन ले योगेश्वर,करें पाप पर वार।
नाश अधर्मी पापी का हो,जग के पालनहार।।
युद्धक्षेत्र में धर्म सिखाते,दे गीता का ज्ञान।
कृष्ण  एक हैं....

अनिता सुधीर आख्या

Thursday, August 18, 2022

गोविंद छन्द

 गोविंद


भाद्र मास की अष्टमी, कृष्ण लिए अवतार।

अद्भुत लीला श्याम की, खुलते कारा द्वार।।

खुलते कारा द्वार, चले तात शिशु को लिए।

यमुना नीर अपार, शेषनाग छाया किए।।

रास      रचैया       गोकुल    आए।

पालनहारे        कष्ट         मिटाए।।

Wednesday, August 17, 2022

हलषष्ठी

 

चौपाई

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भाद्र मास की षष्ठी आयी

       हलछठ व्रत सुंदर फलदायी

जन्म दिवस दाऊ का मनता।

       पोखर घर के आँगन बनता ।।

शस्त्र अस्त्र हल दाऊ सोहे ।

        हलधर की मूरत मन मोहे।।

पुत्रवती महिलाएं पूजें।

     मन अँगना किलकारी गूँजे।।

पूजन कर पलाश जारी का।

        भोग लगा महुवा नारी का ।।

जोता बोया आज न खाए

      तिन्नी चावल दधि सँग भाए।।

दीर्घ आयु संतति की करना।

       आशीषों से झोली भरना ।।

वृक्ष पूजना पाठ पढ़ाता ।

        संस्कृति का यह मान बढ़ाता।।


#अनिता सुधीर

Sunday, August 14, 2022

विभाजन

रेडक्लिफ रेखा/विभाजन

एक विभाजन की रेखा ने
पक्के घर को तोड़ दिया।।

वक्ष फुला मतभेद नचाता
धर्मों की आपाधापी
चला कुदालें फिर खाई में
नींव नापता था पापी
पीर अभी तक क्रंदन करती
युग ने तथ्य मरोड़ दिया।
एक विभाजन...

आँगन की दीवारें सिसकें
टूटा जब अंक खिलौना
गेहूँ-बाली ढूँढ़ रही थी
माटी का वही बिछौना
खड़े खेत खलिहान पुकारें
क्यों मुझको अब छोड़ दिया।।
एक विभाजन..

सीमाओं की कानाफूसी
मानचित्र अब तक सहता
रोकर कोरा पृष्ठ कराहा
भूगोल बदल दो!कहता
हृद विदीर्ण कर रेखा पूछे
वक्र मार्ग क्यों मोड़ दिया।।
एक विभाजन..

अनिता सुधीर आख्या

Thursday, August 11, 2022

राखी

 पावन मंच को नमन

गीत


श्रावणी की दिव्यता से 

खिल उठी सूनी कलाई।।


त्याग तप के सूत्र ने जब 

इंद्र की रक्षा करी हो

या मुगल के शुभ वचन से

आस की झोली भरी हो

नेग मंगल-कामना में

थी छिपी सबकी भलाई।।

श्रावणी...


रेशमी-सी प्रीति करती

आज ये व्यापार कैसा

बंधनों के मूल को अब

सींचता है नित्य पैसा

मर्म धागे का समझना

बात राखी ने चलाई।।

श्रावणी.…


हों सुरक्षित भ्रातृ अपने 

प्रार्थना यह बाँध आएँ

सरहदों पर उन अकेले

भाइयों के कर सजाएँ

भारती का मान तुमसे 

हर परिधि तुमने निभाई।।

श्रावणी...

अनिता सुधीर आख्या































Tuesday, August 9, 2022

कॉमनवेल्थ

 #cwg22india #हर_घर_तिरंगा_अभियान  


जीत का विश्वास रखकर ,काल की टंकार हो तुम।

नीतियों की सत्यता में, स्वर्ण का आधार हो तुम।।


खो रहा अस्तित्व था जब, लुप्त होती भावना में,

आस का सूरज जगाए,भोर का उजियार हो तुम।।


जब छिपी सी धूप होती,तब लड़े सब बादलों से

लक्ष्य की इस पटकथा में,भाल का शृंगार हो तुम।।


साधनों की रिक्तता में,हौसले के साज रखकर

खेल की जग भावना में, प्रीति का अँकवार हो तुम।


रच रहा इतिहास नूतन,स्वप्न अंतर में सँजोये

कोटि जन के भाव कहते,देश का आभार हो तुम।।


अनिता सुधीर आख्या

Friday, August 5, 2022

कला/शिल्प/धरोहर/गर्व


 

गीतिका

शिल्प में उन्नत कला का जो युगों का ज्ञान है।

वो धरोहर में सजोए देश हिंदुस्तान है।।


भित्तियों पर चित्र हों या पत्थरों की मूर्तियाँ।

विश्व में अब इस कला का हो रहा गुणगान है।।


हस्त कौशल क्षेत्र में जब भाव शिल्पी ने रचे

फिर सृजन जीवंत होकर दे रहे आख्यान है।।


गूढ़ दर्शन को लिए कृतियाँ पुरानी जो गढ़ीं।

वह अलौकिक रूप में आदर्श का प्रतिमान है।।


ज्ञान तकनीकी समेटे जब पुरातन काल ने

गर्व की अनुभूति से करना अभी उत्थान है।।


यह विविध आयाम बनते सभ्यता संवाहिका

हम कला के हैं पुजारी मिल रही पहचान है।।


लोक मंगल की कला से मिल रहे आनंद में

सत्य शाश्वत सुंदरम के भाव का आह्वान है।।


अनिता सुधीर आख्या










Tuesday, August 2, 2022

सावन/शिव शंकर

कैलाशी को पूजिये, पावन सावन मास।
आदि अनंता रूप से, लगी कृपा की आस।।

साँपों की माला धरे, कर में लिये त्रिशूल।
सोहे गंगा शीश पर, शंकर जग के मूल।।

डमरू हाथों में लिये,ओढ़े मृग की छाल।
करते ताण्डव नृत्य जब,रूप धरे विकराल।।

महिमा द्वादश लिंग की ,अद्भुत अपरम्पार।
पुष्प समर्पित है तुम्हें,विनती बारम्बार ।।

मंदिर मंदिर सज गये,जाना शिव के द्वार।
नागदेवता पूजते ,भरो ज्ञान भंडार  ।।

शिव शंकर को प्रिय लगे,बेल धतूरा खास।
दुग्ध धार अर्पित करें ,इस सावन के मास।।

अनिता सुधीर आख्या