सरसी छन्द आधारित गीत
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सखा प्रभो की लीला न्यारी,अद्भुत है आख्यान।
एक कृष्ण में भाव विविध हैं,कैसे करूँ बखान।।
दिवस अष्टमी पक्ष अँधेरा,भाद्र मास की रात।
द्वापर युग जन्मे अनिरुद्धा,ईशमयी सौगात।।
अच्युत मोहन कृष्ण कन्हैया,माधव के अवतार।
दिव्य भाव में नेक प्रयोजन ,दुष्टों का संहार।।
पूर्ण कामना मातु पिता की,निरखि रूप संतान।।
एक कृष्ण..
बन्दी गृह में अद्भुत लीला,खुलते गृह के द्वार।
चले तात संतति को लेकर,यमुना नीर अपार।।
धन्य हुई गोकुल की गलियां,आया माखनचोर।
मातु यशोदा पुलकित हर्षित,बाबा नंद विभोर।।
मोर मुकुट धर रूप अनोखा,नटखट भाव प्रधान।
एक कृष्ण..
बाँसुरिया की मोहक धुन पर,झूम उठे सब ग्वाल।
वस्त्र गोपियों का हर कर वो,छिपा कुंज की डाल।।
रास रचें कान्हा निधिवन में,राधा रानी संग।
देख अंगुली पर गोवर्धन,मन में भरे उमंग।।
बाल सुलभ लीला का करते,आज सभी गुणगान ।
एक कृष्ण..
सखा रूप का भाव निराला ,भरे आँख में नीर।
लाज बचाने दौड़ पड़े जब,सुनी द्रौपदी पीर।।
विरह अग्नि को राधा सहतीं,श्याम द्वारिका धाम।
प्रेमभाव पर्याय युगों तक ,प्रेम राधिका नाम ।।
श्याम प्रेम में डूबी मीरा,करें इष्ट का ध्यान।
एक कृष्ण..
बने सारथी अर्जुन के जब,बतलाया था मर्म।
कर्म श्रेष्ठ मानव जीवन में,मार्ग वही सत्धर्म।।
चक्र सुदर्शन ले योगेश्वर,करें पाप पर वार।
नाश अधर्मी पापी का हो,जग के पालनहार।।
युद्धक्षेत्र में धर्म सिखाते,दे गीता का ज्ञान।
कृष्ण एक हैं....
अनिता सुधीर आख्या