वेदना
स्वप्न सुनहरे धोखा देकर,जा छिपते जग गलियारों में
तभी विवश हो बैठा मानव,भटक गया उर अंधियारों में
सुख पाने की आस लगाए,लगा रहा पाखंडी चक्कर
भीडतंत्र का बन कर किस्सा,प्राण गवाए जयकारों में।।
अनिता सुधीर आख्या
वेदना स्वप्न सुनहरे धोखा देकर,जा छिपते जग गलियारों में तभी विवश हो बैठा मानव,भटक गया उर अंधियारों में सुख पाने की आस लगाए,लगा रहा पाखंडी च...
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 04 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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Deleteसुन्दर
ReplyDeleteसुख पाने की आस लगाए,लगा रहा पाखंडी चक्कर
ReplyDeleteभीडतंत्र का बन कर किस्सा,प्राण गवाए जयकारों में।।
अंधभक्त और अंधश्रद्धा को क्या कहें..
इन पाखंडियों को भगवान मान जान की बाजी लगा रहे लोग...
समसामयिक लाजवाब सृजन
सादर आभार आ0
Delete"मोको कहाँ ढूंढें रे बन्दे ! मैं तो तेरे ही पास रे !
ReplyDeleteकहाँ-कहाँ सुख ढूंढता फिरा, आख़िर पाया फिर अपने ही पास ..
सादर आभार आ0
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