Tuesday, January 21, 2025

महाकुंभ

महाकुंभ


अद्भुत नगर प्रयाग को,नव्य बनाता कुंभ।
सत्य सनातन प्रेम को,दिव्य बनाता कुंभ।।

भाव त्याग विश्वास ले,भक्ति सिखाता कुंभ।
संत समागम योग से,शक्ति सिखाता कुंभ।।

ले आध्यात्मिक भाव को,कल्पवास का कुंभ।
समरसता के मूल्य में,उर हुलास का कुंभ।।

पुण्य त्रिवेणी देखती,उर का निर्मल कुंभ।
लिए विरासत देश की,बहता कलकल कुंभ।।

नगर बसा तट धूलि पर,सृष्टि दिखाता कुंभ।
मानव के कल्याण को,दृष्टि दिखाता कुंभ।।

रोजगार व्यवसाय को,सफल बनाता कुंभ।
मूल्य प्रबंधन का लिए,पाठ पढ़ाता कुंभ।।

साधक समिधा यज्ञ में,चंदन करता कुंभ।
नित्य उच्चता पर पहुँच,मंथन करता कुंभ।।

कथा अखाड़ों की कहे,शांति दिलाता कुंभ।
जीवन बंधन डोर की,भ्रांति मिटाता कुंभ।।

अनिता सुधीर आख्या 



Friday, January 10, 2025

विश्व हिंदी दिवस

विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई 

विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान

जब सजाएँ ज्ञानी,मुस्कुराया हिंदी काल।
है विधा ने ओढ़ी,चूनरी जो धानी लाल।
है निराले छंदों में,शिल्प का पूरा ये ज्ञान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।

थी खड़ी लाचारी,देखती बीमारी रोग।
लाभ लेते ज्ञानी,विद्वता भी देती योग।।
जो उठा है बीड़ा,उच्च हो भाषा का मान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।

नव्यता ले भाषा,ओढ़ती सज्जा को आज।
जो विधा को देखे,रागिनी ने छेड़े साज।।
छंद हिंदी देखे ,दिव्यता का धारे ध्यान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।


अनिता सुधीर आख्या 




Thursday, January 2, 2025

पूस की रात

 *पूस की रात*


ओस भर कर दूब बैठी

धूप का कब हो सबेरा


शीत रातों को डराए

हड्डियां भी काँपतीं हैं

अब सड़क देखे व्यथा से

आस कंबल ढाँपतीं हैं

ओढ़ता चादर तिमिरमय

साँझ का मध्यम अँधेरा।।


आग उपलों को तरसती 

नीति सरकारी रही है

योजना के छिद्र कहते 

चाय त्योहारी रही है

अल्पना के रंग सूखे 

रैन का कब हो बसेरा ।।


श्वान चौराहे पड़ा है

चाहता वो ताप थोड़ा

जब मनुजता दुरदुराती

आग ने कब साथ छोड़ा

पूस की जो रात ठंडी

घाव टोपी का उधेरा।।


अनिता सुधीर आख्या 


महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं घुड़कियाँ घर के पुरुष की तर्क लड़ते गोष्ठियों में क्यों सदी रो कर गुजारी अब सभा चर्चा करे यह क्यों पुरु...