Wednesday, January 1, 2025

नववर्ष

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पूस की रात

 *पूस की रात* ओस भर कर दूब बैठी धूप का कब हो सबेरा शीत रातों को डराए हड्डियां भी काँपतीं हैं अब सड़क देखे व्यथा से आस कंबल ढाँपतीं हैं ओढ़ता च...