पावन मंच को सादर नमन
गीतिका-
पायलों की रुनझुनों में,काल की टंकार हो तुम।
नीतियों की सत्यता में,स्वर्ण का आधार हो तुम।।
खो रहा अस्तित्व था जब, लुप्त होती भावना में,
आस का सूरज जगाए,भोर का उजियार हो तुम।।
जब छिपी सी धूप होती,तब लड़े वो बादलों से
लक्ष्य की इस पटकथा में,भाल का शृंगार हो तुम।।
साधनों की रिक्तता में,हौसले के साज रखती
खेल टूटी डंडियों में,प्रीति का अँकवार हो तुम।
रच रहा इतिहास नूतन,स्वप्न अंतर में सँजोये
कोटि जन के भाव कहते,देश का आभार हो तुम।।
अनिता सुधीर आख्या
बहुत सुंदर । सच गर्व है हमें अपने देश के हर खिलाड़ी पर ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार 9 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
सादर आभार आ0
Deleteओजपूर्ण रचना।
ReplyDeleteजी आभार
Deleteमहिला हॉकी खिलाड़ियों के सम्मान में बहुत सुंदर भावपूर्ण तथा प्रेरक रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteआशा का संचार करती बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteजी शुक्रि5
Deleteजी शुक्रिया
ReplyDeleteपायलों की रुनझुनों में,काल की टंकार हो तुम।
ReplyDeleteनीतियों की सत्यता में,स्वर्ण का आधार हो तुम।।
कोमलांगी बेटियों केलिए बहुत प्रेरक रचना अनीता जी |इनके साहस को सदैव नमन है |
जी शुक्रिया
Deleteरच रहा इतिहास नूतन,स्वप्न अंतर में सँजोये
ReplyDeleteकोटि जन के भाव कहते,देश का आभार हो तुम।।
सही कहा आज इन बेटियों का आभारी है देश
बहुत ही लाजवाब सृजन
हार्दिक आभार आ0
ReplyDelete"काल की टंकार हो तुम " ओज पूर्ण
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