जय श्री राम
जय श्री राम
श्याम वर्ण के राम लला का,हुआ अलौकिक दर्शन अब
हर्षित मन भावुक हो करता,सत्य सनातन वंदन अब ।
योगीराज नमन तुमको है,देवत्व दिया जो पाथर को
बाल सुलभ ममता में गढ़ दी ,स्मित अधरों पर नर्तन
अब।
जय श्री राम
घर घर में प्रभु राम विराजो,अंतस सबका निर्मल कर दो।
शुद्ध आचरण हो मानव का,भक्ति भाव हर उर में भर दो।।
सीख सकें मर्यादा तुमसे,पदचिन्हों पर चले तुम्हारे
यही कामना जनमानस की,नाम तुम्हारा भव से तर दे।।
अनिता सुधीर आख्या
सीख सकें मर्यादा तुमसे,पदचिन्हों पर चलें तुम्हारे। उनके स्मरण की सार्थकता इसी में है। अभिनंदन आपका।
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