Friday, December 27, 2024

कहमुकरी

कहमुकरी 

1)

गरम गरम सी बातें कहता
पूरे दिन भर लिपटा रहता 
लगा दिया यों तन पर ताला
का सखि साजन ! नहीं दुशाला।।

2)
दया धर्म की बाते करता
सुखमय फिर दिन रातें करता
सदा बना वह मेरा संबल
का सखि साजन ! ना सखि कंबल।।

3)

द्वारे पर दिन गिन गिन कटते 
करूं प्रतीक्षा रटते रटते 
कब आए वह देने हर्ष 
का सखि साजन ! नहीं नव वर्ष।।

4)

जीवन की जब धूप सताए
हर दुख में वह साथ निभाए
साथ रहेंगे कसमें खाता
का सखि साजन! ना सखि छाता।।


अनिता सुधीर आख्या 
























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