कहमुकरी
1)
गरम गरम सी बातें कहता
पूरे दिन भर लिपटा रहता
लगा दिया यों तन पर ताला
का सखि साजन ! नहीं दुशाला।।
2)
दया धर्म की बाते करता
सुखमय फिर दिन रातें करता
सदा बना वह मेरा संबल
का सखि साजन ! ना सखि कंबल।।
3)
द्वारे पर दिन गिन गिन कटते
करूं प्रतीक्षा रटते रटते
कब आए वह देने हर्ष
का सखि साजन ! नहीं नव वर्ष।।
4)
जीवन की जब धूप सताए
हर दुख में वह साथ निभाए
साथ रहेंगे कसमें खाता
का सखि साजन! ना सखि छाता।।
अनिता सुधीर आख्या
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