कुंडलिया दिवस की बधाई
ईश्वर
अंतर्यामी ईश में,निहित अखिल ब्रह्मांड।
निराकार के रूप में,अद्भुत अर्थ प्रकांड ।।
अद्भुत अर्थ प्रकांड,जगत के नीति नियन्ता।
पंचतत्व में व्याप्त,अटल है आदि अनंता ।।
सत्ता रही अदृश्य,अजन्मा जग का स्वामी।
सत्य चित्त आनंद,ब्रह्म है अंतर्यामी।।
ईश्वर
ईश्वर के इस रूप का,कैसे करूँ बखान।
निराकार साकार का,भेद नहीं आसान।।
भेद नहीं आसान,ईश हैं घट घट व्यापी।
कण कण में यदि वास,मूर्ति फिर रहे प्रतापी।।
मैं मूरख अंजान, सूक्ष्म कण काया नश्वर।
'शंकर' 'शिव' का भेद,बता दो मेरे ईश्वर।।
अनिता सुधीर आख्या
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