Saturday, March 8, 2025

महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं

घुड़कियाँ घर के पुरुष की

तर्क लड़ते गोष्ठियों में
क्यों सदी रो कर गुजारी

अब सभा चर्चा करे यह
क्यों पुरुष सत्ता रहेगी
मुक्ति ने हुंकार भर दी
कर्ण में सबके कहेगी
घुड़कियाँ घर के पुरुष की
क्या लड़ेगी वो प्रचारी।।

जब कदम ताने सुने हैं
पर निकलते छोकरी के
ताज मिलता मूढ़ता का
तथ्य कहते नौकरी के
राग छेड़े काग कड़वे
रो रही कोकिल बिचारी।।

पुत्र भाई पति पिता के
चार खंभो पर टँगी है
मातु ननदी सास की छत
वर्जनाओं से रँगी है
देखता ब्रह्मांड भी फिर
लांछनों का बोझ भारी।।

अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, February 26, 2025

शिव विवाह

शिव विवाह


त्रिनेत्र सुशोभित चंद्र ललाट, त्रिशूल लिए कर साज चलें हैं।

विचित्र लगे शिव कंठ भुजंग,बरात पिशाच समाज चले हैं।।

विभूति लगे तन मुंड कपाल,मृदंग लिए सब बाज चले हैं।

विराज रहे तब देव सुजान, विमान सजा अधिराज चलें हैं।।

Sunday, February 16, 2025

प्रेम


वेलेंटाइन डे 
प्रेम 
प्रेम क्या है..


कौन करे परिभाषित इसको,लिखे कौन आख्यान भी।
सरल सहज हो प्रेम सरस लिख,करें यही आह्वान भी।।

संवेदन मन में सत्य विचर,ले कर्मों की दिव्यता,
प्रेम साधना प्रेम तपस्या,यही प्रेम ईमान भी।।

सहनशीलता गुण रखते जो,उनको निर्बल मान क्यों
परिवारों की धुरी बने वह,लिखे प्रेम बलिदान भी।।

संबंधों की अपनी गरिमा,सबका एक महत्त्व है,
परहित में जब जीवन अर्पण,बने प्रेम पहचान भी।।

माँग रहे अधिकार सदा क्यों,रखें बोध कर्तव्य का,
सीख लिया जब देना पहले,लिखा प्रेम उत्थान भी।।

सभ्य नागरिक बन जो करते,पालन नित कानून का
जुड़े जड़ों से जब रहते हैं,लिखते प्रेम उड़ान भी।।

सीमाओं पर डटे हुए जो,हार कहाँ वह मानते।
ओढ़ तिरंगा सो जाते जब,लिखते प्रेम महान भी।।

हर मौसम का वार सहे जब,भरें अन्न भंडार को,
स्वेद बूँद इतरा कर कहती,लिखो प्रेम खलिहान भी।।

करें द्वार संवाद सभी जब,मध्य नहीं दीवार हो,
तुलसी चौरा बूढ़ा बरगद,लिखे प्रेम दालान भी।।

सब धर्मों की एका में ही,भारत का कल्याण है
मानव का मानव से रिश्ता,लिखे प्रेम अभियान भी।।


अनिता सुधीर आख्या 
लखनऊ

Tuesday, January 21, 2025

महाकुंभ

महाकुंभ


अद्भुत नगर प्रयाग को,नव्य बनाता कुंभ।
सत्य सनातन प्रेम को,दिव्य बनाता कुंभ।।

भाव त्याग विश्वास ले,भक्ति सिखाता कुंभ।
संत समागम योग से,शक्ति सिखाता कुंभ।।

ले आध्यात्मिक भाव को,कल्पवास का कुंभ।
समरसता के मूल्य में,उर हुलास का कुंभ।।

पुण्य त्रिवेणी देखती,उर का निर्मल कुंभ।
लिए विरासत देश की,बहता कलकल कुंभ।।

नगर बसा तट धूलि पर,सृष्टि दिखाता कुंभ।
मानव के कल्याण को,दृष्टि दिखाता कुंभ।।

रोजगार व्यवसाय को,सफल बनाता कुंभ।
मूल्य प्रबंधन का लिए,पाठ पढ़ाता कुंभ।।

साधक समिधा यज्ञ में,चंदन करता कुंभ।
नित्य उच्चता पर पहुँच,मंथन करता कुंभ।।

कथा अखाड़ों की कहे,शांति दिलाता कुंभ।
जीवन बंधन डोर की,भ्रांति मिटाता कुंभ।।

अनिता सुधीर आख्या 



Friday, January 10, 2025

विश्व हिंदी दिवस

विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई 

विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान

जब सजाएँ ज्ञानी,मुस्कुराया हिंदी काल।
है विधा ने ओढ़ी,चूनरी जो धानी लाल।
है निराले छंदों में,शिल्प का पूरा ये ज्ञान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।

थी खड़ी लाचारी,देखती बीमारी रोग।
लाभ लेते ज्ञानी,विद्वता भी देती योग।।
जो उठा है बीड़ा,उच्च हो भाषा का मान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।

नव्यता ले भाषा,ओढ़ती सज्जा को आज।
जो विधा को देखे,रागिनी ने छेड़े साज।।
छंद हिंदी देखे ,दिव्यता का धारे ध्यान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।


अनिता सुधीर आख्या 




Thursday, January 2, 2025

पूस की रात

 *पूस की रात*


ओस भर कर दूब बैठी

धूप का कब हो सबेरा


शीत रातों को डराए

हड्डियां भी काँपतीं हैं

अब सड़क देखे व्यथा से

आस कंबल ढाँपतीं हैं

ओढ़ता चादर तिमिरमय

साँझ का मध्यम अँधेरा।।


आग उपलों को तरसती 

नीति सरकारी रही है

योजना के छिद्र कहते 

चाय त्योहारी रही है

अल्पना के रंग सूखे 

रैन का कब हो बसेरा ।।


श्वान चौराहे पड़ा है

चाहता वो ताप थोड़ा

जब मनुजता दुरदुराती

आग ने कब साथ छोड़ा

पूस की जो रात ठंडी

घाव टोपी का उधेरा।।


अनिता सुधीर आख्या 


महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं घुड़कियाँ घर के पुरुष की तर्क लड़ते गोष्ठियों में क्यों सदी रो कर गुजारी अब सभा चर्चा करे यह क्यों पुरु...