कोदंड धनुष
विधि लेखा का नेक कार्य ले, रघुवर वन को आए थे
मर्यादा ने मर्यादा रख, अद्भुत अस्त्र उठाए थे
धन्य-धन्य वह बाँस युगों तक, जिससे कोदंड बनाया
स्पर्श मिला प्रभु कर कमलों का,दिव्य अलौकिक कहलाया
कठिन तपस्या ऋषियों ने कर, रक्षा मंत्र समाए थे
मर्यादा ने मर्यादा रख, अद्भुत अस्त्र उठाए थे
चमत्कार कोदंड देखकर, लक्ष्य सदा भयभीत रहे
नीर जलधि का नहीं सोखिए, वरुण राम से यही कहे
सत्पुरुषों के हित साधे जब, कितने प्राण बचाए थे
मर्यादा ने मर्यादा रख, अद्भुत अस्त्र उठाए थे
कांधे सज कोदंड दंड दे, दुष्टों का संहार करे
धर्मयुद्ध में सत्य जिताकर, अभिमानी पर वार करे
तीरों ने जिस तन को बेधा, उसको अमर बनाए थे
मर्यादा ने मर्यादा रख, अद्भुत अस्त्र उठाए थे
द्वेष अहं दस शीश उठाए, फूले-फिरते यहाँ-वहाँ
धर्म सुनिश्चित करने आओ, राम छिपे तुम कहाँ-कहाँ
अब तुम
कलयुग का उद्धार करो अब, तुमनें वचन निभाए थे
अनिता सुधीर आख्या
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