शिक्षक
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दोहावली
ज्ञान आचरण दक्षता,शिक्षा का आधार।
करे समाहित श्रेष्ठता, उत्तम जीवन सार।।
शिक्षक दीपक पुंज है,ईश्वर का अवतार।
शिक्षक अपने शिष्य को,देते ज्ञान अपार।।
निर्माता हैं देश के,उन्नत करें समाज।
रखते कल की नींव ये,करें नया आगाज।।
अनगढ़ माटी के घड़े,शिक्षक देते ढाल।
मार्ग प्रदर्शक आप हैं,उन्नत करते भाल।।
पेशा उत्तम जानिए,गढ़ते मनुज चरित्र।
आशा का संचार कर,करते कर्म पवित्र।।
पथ प्रशस्त करते सदा,मन में भरें प्रकाश।
नैतिकता के पाठ से,है विस्तृत आकाश।।
परम्परा गुरु शिष्य की,रही बड़ी प्राचीन।
ध्येय सिद्धि को साधने,सदा रहे थे लीन।।
हृदय व्यथित हो देखता,शिक्षा का व्यापार।
फैल रहा इस क्षेत्र में ,कितना भ्रष्टाचार।।
अपने शिक्षक को करूँ, शत शत बार प्रणाम।
जिनके संबल से मिला,जीवन को आयाम।।
मैं शिक्षक के रूप में,श्रेष्ठ निभाऊँ धर्म।
देना ये आशीष प्रभु,समझूँ शिक्षा मर्म।।
अनिता सुधीर आख्या
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
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