विश्व रंगमंच दिवस
जग के नाटक मंच का,प्रहसन लिखता कौन।
कर्मों का फल झेलता,अभिनय कर्ता मौन।।
अनिता सुधीर आख्या
सहकर सबके पाप को,पृथ्वी आज उदास। देती वह चेतावनी,पारा चढ़े पचास।। अपने हित को साधते,वक्ष धरा का चीर। पले बढ़े जिस गोद में,उसको देते पीर।। दू...
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