मुक्तक
टेढ़ी डगर पर पाँव का,अब मखमली सत्कार हो।
थी पीर वर्षों से सही, इन राह से अब प्यार हो।।
घट रिक्त जीवन का रहा, हर मोड़ पर जो प्यास थी
यह आस लेकर चल पड़ी,अब बूँद से अभिसार हो।।
अनिता सुधीर आख्या
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं गीत कहां छुपे तुम बैठ गए हो,हे गोकुल के नाथ। आन विराजो सबके उर में,लिए तिरंगा हाथ।। ग्वाल बाल के अंतस में दो,द...
भाव पूर्ण मुक्तक।
ReplyDeleteभावपूर्ण मुक्तक
ReplyDeleteवाह
ReplyDelete