चुभन
उर में जब जब पीर उठी,कलम मिटाती रही तपन।
शब्दों ने आगाज किया,भाव दिखाते जब तड़पन।।
हृदय पृष्ठ ऐसे भीगा,फिर भी मन उपवन सूखा
कोई कब यह पूछे है,क्या पृष्ठों को हुई चुभन?
अनिता सुधीर आख्या
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं दर्शन चिंतन राम का,हो जीवन आधार। आत्मसात कर मर्म को,मर्यादा ही सार।। बसी राम की उर में मूरत मन अम्बर कुछ ड...
वाह! बहुत खूब।
ReplyDelete