पैरालिंपिक
रोग तन मन को लगे जब,वश नहीं उस पर रहे।
जीत का रख हौसला जो,अनगिनत दुख नित सहे।
सोच से विकलांग ना बन,लक्ष्य ले वह चल पड़े
वह सबल दिव्यांग बन कर,नव सफलता नित कहें।।
अनिता सुधीर आख्या
कात्यायनी माता के चरणों में पुष्प *** कात्यायन ऋषि की सुता,अम्बे का अवतार हैं। छठे दिवस कात्यायनी, वंदन बारम्बार है।। दानव अत्याचार से,मिला ...
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