गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
कब मार्ग मिला दिशि हीन चली,उर भाव पड़े जब शुष्क विविक्त।
मति मूढ़ लिए भटकी जग में,भ्रम जीवन को करता फिर तिक्त।।
मन अस्थिर के रथवान बने,गुरु खींच रहे जब से उर रिक्त।
चित धीर रखा सम भाव जगा,नित ईष्ट करें यह जीवन सिक्त।।
अनिता सुधीर आख्या
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