जीवन का मनुहार,तुम्हारी आँखों में।
परिभाषित है प्यार, तुम्हारी आँखों में।।
छलक-छलक कर प्रेम,भरे उर की गगरी,
बहे सदा रसधार,तुम्हारी आँखों में।।
तुम जीवन संगीत,सजाया मन उपवन,
भौरों का अभिसार,तुम्हारी आँखों में।।
पूरक जब मतभेद चली जीवन नैया,
खट्टी-मीठी रार,तुम्हारी आँखों में।।
रही अकिंचन मात्र,मिला जबसे संबल,
करे शून्य विस्तार,तुम्हारी आँखों में।।
किया समर्पण त्याग,जले बाती जैसे,
करे भाव अँकवार,तुम्हारी आँखों में।।
जीवन की जब धूप,जलाती थी काया
पीड़ा का उपचार,तुम्हारी आँखों में।।
अनिता सुधीर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 07 जुलाई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteवाह! प्रेमिल भावों से सराबोर रचना प्रिय अनीता जी! सोने पे सुहागा सुंदर जोड़ी का चित्र कविता के भावों में रंग भर रहा है! आप दोनों का साथ इसी प्रेम सेतु से बंध कर सदा अटूट रहे यही दुआ हैँ!हार्दिक शुभकामनायें 🌹🌹❤️❤️🙏
ReplyDeleteबेहतरीन
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