गीत
आल्हा छन्द
सभ्य मनुज से एक प्रश्न है
कौन तुम्हें देता अधिकार
पथ प्रशस्त करती है नारी
समझे क्यों अबला लाचार
पन्ना का बलिदान लिए वह
आज निभाती माँ का फर्ज
शौर्य लिए रानी लक्ष्मी का
आज चुकाती माटी कर्ज
चूड़ी पायल पहने नारी
आज उठाती है हथियार।।
पथ ...
सहना अब अन्याय नही है
हो हर नारी का अभियान
जग जननी दुर्गा काली हो
आज जगा अपना अभिमान
लांछन सहती जीवन भर क्यों
आज उन्हीं पर कर दो वार ।।
पथ प्रशस्त..
अग्नि परीक्षा अब मत देना
नित्य लिखो नूतन इतिहास
अपने हिस्से का सूरज ले
मन में रखना अब विश्वास
नव पीढ़ी को नव्य दिशा दे
शुद्ध करे उनका व्यवहार।।
अनिता सुधीर आख्या
बहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत
ReplyDeleteसादर अभिवादन आ0
Deleteआदरणीया अनीता सुधीर जी, इस अच्छी सी कृति हेतु बधाई स्वीकार करें। ।।।।
ReplyDeleteआगामी नववर्ष की अग्रिम शुभकामनायें। ।।
हार्दिक आभार आ0
Deleteआपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं