Wednesday, August 24, 2022

राधा


 सवैया

राग-विराग सुभाव लिए ,दृग लाज भरे वृषभानु सुता।

मोहन साज सँवार करें, वह भूल गए अपनी नृपता।।

प्रीत भरें वह कुंज गली,निखरी तब कृष्ण सखा पृथुता ।

दिव्य अलौकिक दृश्य लिए,हिय में बसती प्रभु की प्रभुता।।


अनिता सुधीर आख्या



8 comments:

  1. इनकी मात्रा कितनी है व क्या नियम है कृपया अवगत करे।सीखने का अवसर मिलेगा।

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  2. 121 121 121 121, 121 121 121 122

    ये वर्णिक छन्द है
    वाम सवैया की मापनी है।12,12 पर यति

    आप का हार्दिक आभार

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२५-०८ -२०२२ ) को 'भूख'(चर्चा अंक -४५३२) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  4. वाह!!!!
    लाजवाब👌👌

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