Sunday, August 28, 2022
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होलिका दहन
होलिका दहन आज के प्रह्लाद तरसे होलिका की रीत अनुपम। कार्य में अब व्यस्त होकर ढूँढते सब अतीत` अनुपम। पूर्णिमा की फागुनी को है प्रतीक्षा बालिय...
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उल्लाला छन्द आधारित गीतिका समान्त 'आत' पदांत 'में' ** हँसे खेत खलिहान सब,इस मौसम बरसात में। पाकर प्रेम फु...
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चित्र गूगल से साभार कुंडलियां सपना कुर्सी का लिए,चलें विपक्षी चाल। बैठक में मतभेद रख,रँगते अपनी खाल।। रँगते अपनी खाल,लिए भारत का ठेका। पाने...
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#SHRIRAMBHAJAN आज रामलला मंदिर के अक्षत पा कर अभिभूत हूँ गीत देख अयोध्या की शोभा को,दीप वर्तिका हर्षायी। नवल भोर की आस जगाकर,संस्कृति जग मे...
वाह! बहुत सुंदर। कबीर याद आ गए।
ReplyDeleteसादर आभार
Delete"निर्धन की मुस्कान में मिला ईश का प्यार।"- सत्य वचन।
ReplyDeleteजी सादर अभिवादन
ReplyDeleteवाह . रहीम कवि ने भी कहा है ---जो रहीम दीनहि लखै दीनबन्धु सम होय ..
ReplyDeleteसादर आभार आ0
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