बाल मन
चांद देखा जब सिया ने,भाव कोमल हँस पड़े हैं।
दृश्य पावन यह मनोरम,कल्पना लेकर उड़े हैं।।
शब्द की सामर्थ्य कहती,बचपना कब लिख सके हम
ओट से आ चांद बोले,हम निकट ही नित खड़े हैं।।
अनिता सुधीर आख्या
बाल मन चांद देखा जब सिया ने,भाव कोमल हँस पड़े हैं। दृश्य पावन यह मनोरम,कल्पना लेकर उड़े हैं।। शब्द की सामर्थ्य कहती,बचपना कब लिख सके हम ओट स...
हम निकट ही नित खड़े हैं। बहुत सुंदर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" मंगलवार 22 अक्टूबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteवाह
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