Wednesday, October 9, 2024

माँ

  मुक्तक

माँ जन्मी अपने तन जब,वह भाव अघाती है।
सृजन पीर माधुर्य लिए,नित प्रीति लगाती है।।
करे गर्भ जब अठखेली,धड़कन सरगम बनती,
कोख सींच आशाओं से,मन द्वार सजाती है।।

अनिता सुधीर आख्या 

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माँ

  मुक्तक माँ जन्मी अपने तन जब,वह भाव अघाती है। सृजन पीर माधुर्य लिए,नित प्रीति लगाती है।। करे गर्भ जब अठखेली,धड़कन सरगम बनती, को...