मॉं ब्रह्मचारिणी के चरणों में पुष्प
ब्रह्मचारिणी रूप में,माँ दुर्गा को पूजिए।
भक्ति शक्ति अनुरूप ही,कठिन तपस्या कीजिए।।
अक्ष,कमंडल हाथ में,धर्म वेद की भव्यता।
प्रेम त्याग तप साधतीं,मातु रूप की दिव्यता।।
ब्रह्मचर्य की साधना,धीरज सयंम जानिए।
सदाचार एकाग्रता,पूजन विधि ये मानिए।।
स्वाधिष्ठानी चक्र को,साधक मन जागृत करे।
विचलित चंचल मन सधे,शांत भाव झंकृत करे।।
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