Tuesday, September 30, 2025

माता कालरात्रि 

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कालरात्रि की अर्चना,सप्तम तिथि को कीजिए।
काल विनाशक कालिका,शुभंकरी को पूजिए।।

रक्त बीज संहार जब,जन्म हजारों रक्त का।
दानव का संहार कर,कष्ट हरा फिर भक्त का।।

तीन नेत्र की स्वामिनी,रूप धरे विकराल हैं।
तांडव मुद्रा देख के,दूर भागता काल है ।।

चतुर्भुजी के हाथ में,कांटा और कटार है।
गर्दभ वाहन साथ ले,करें असुर संहार है।।

रोग दोष से मुक्त कर,करें शत्रु का नाश है।
ग्रह बाधा को दूर कर,जग में भरा प्रकाश है।।

द्वार सिद्धियों के खुलें,साधक मन सहस्रार में।
शीर्ष चक्र की चेतना,है दैहिक आधार में।।



माता महागौरी


अष्टम तिथि की दिव्यता,पूज्य शिवा में ध्यान हो।
मातु महागौरी सदा,भक्तों का कल्याण हो।।

जन्म हिमावन के यहाँ, मातु पार्वती ने लिया।
शंकर हों पति रूप में,बाल काल से तप किया।।

श्वेत वर्ण है मातु का,उपमा श्वेतांबरधरा ।
चतुर्भजी दुखहारिणी,माँ का अब है आसरा ।।

पूजन गौरी का करे,शांति हृदय में व्याप्त हो।
करें पाप का नाश फिर,शक्ति अलौकिक प्राप्त हो।।

राहू की हैं स्वामिनी ,दूर करें इस दोष को।
मातु वृषारूढ़ा भरें,सभी भक्त के कोष को।।


अनिता सुधीर आख्या 

1 comment:

  1. अति सुंदर रचना 🙏

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माता कालरात्रि  *** कालरात्रि की अर्चना,सप्तम तिथि को कीजिए। काल विनाशक कालिका,शुभंकरी को पूजिए।। रक्त बीज संहार जब,जन्म हजारों रक्त का। दान...