नव वर्ष का प्रारंभ
गणेश वंदना के साथ
आधार चामर छन्द 23 मात्रा,15 वर्ण
गुरू लघु×7+गुरू
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रिद्धि सिद्धि साथ ले,गणेश जी पधारिये,
ग्रंथ हाथ में धरे ,विधान को विचारिये।
देव हो विराजमान ,आसनी बिछी हुई,
थाल है सजा हुआ कि भोग तो लगाइये।
प्रार्थना कृपा निधान, कष्ट का निदान हो,
भक्ति भाव हो भरा कि ज्ञान ही प्रधान हो ।
मूल तत्व हो यही समाज में समानता,
हे दयानिधे! दया ,सुकर्म का बखान हो ।
ज्ञान दीजिये प्रभू अहं न शेष हो हिये
त्याग प्रेम रूप रत्न कर्म में भरा रहे।
नाम आपका सदा विवेक से जपा करें,
आपका कृपालु हस्त शीश पे सदा रहे।
अनिता सुधीर