Monday, July 24, 2023

जल जीवन


 चित्र गूगल से


जल प्रबंधन


प्यासी मौतें डेरा डाले

पीड़ा नीर प्रबंधन की


सूरज छत पर चढ़ कर नाचे

जनजीवन कुढ़-कुढ़ मरता

ताप चढ़ा कर तरुवर सोचे

किस की करनी को भरता

 ताल-नदी का वक्ष सूखता

आशा पय संवर्धन की।।


कानाफूसी करती सड़कें 

चौराहे का नल सूखा

चूल्हा देखे खाली बर्तन 

कच्चा चावल है भूखा

माँग रही है विधिवत रोटी

भूख बिलखती निर्धन की।।


बूँद टपकती नित ही तरसे

कैसे जीवन भर जाऊँ

नारे भाषण बाजी से अब

कैसे मन को बहलाऊँ

बाढ़ खड़ी हो दुखियारी बन 

जन सोचे अवरोधन की।।


अनिता सुधीर 


3 comments:

विज्ञान

बस ऐसे ही बैठे बैठे   एक  गीत  विज्ञान पर रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान । दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार। हुआ अँधे...