Wednesday, August 30, 2023

रक्षाबंधन


रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं

श्रावणी की दिव्यता से
खिल उठी सूनी कलाई।।

त्याग तप के सूत्र ने जब
इंद्र की रक्षा करी हो
या मुगल के शुभ वचन से
आस की झोली भरी हो
नेग मंगल कामना में
थी छिपी सबकी भलाई।।
श्रावणी...

रेशमी-सी प्रीति करती
आज ये व्यापार कैसा
बंधनों के मूल को अब
सींचता है नित्य पैसा
मर्म धागे का समझना
बात राखी ने चलाई।।
श्रावणी.…

हों सुरक्षित भ्रातृ अपने
प्रार्थना यह बाँध आएँ
सरहदों पर उन अकेले
भाइयों के कर सजाएँ
भारती का मान तुमसे
हर परिधि तुमने निभाई।।
श्रावणी...


अनिता सुधीर आख्या

चित्र गूगल से साभार

2 comments:

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...