Wednesday, September 17, 2025

दिव्य युगेश

दिव्य युगेश*


आल्हा छन्द आधारित मुक्तक


युग निर्माता मोदी जी का,ओजपूर्ण व्यक्तित्व महान।

पंक मध्य जो कमल खिला है,उसका अद्भुत है आख्यान।।

दीप दिखाएँ क्या सूरज को,कैसे लिख दें उर के भाव

नहीं लेखनी में ताकत यह,उनके गुण के गाए गान।।


मास सितंबर तिथि सत्रह का,भारत में है खास महत्व। 

देव विश्वकर्मा का उद्भव,सृष्टि सृजन का ले विद्वत्व।।

जन्म नरेंद्र लिए इस तिथि को,कैसा यह अद्भुत संयोग

कर्म देव के जैसे करके,मोदी जी पाए देवत्व।।


बड़नगर ग्राम में जन्मे थे,करने संस्कृति का उत्थान।

दामोदर के घर उजियारा,लेकर आया शुभ पहचान।।

धन्य हुई भारत की धरती,धन्य मातु हीरा की गोद

जिनके ममता के आँचल ने,पाला था नेतृत्व महान।।


छप्पन-इंची सीने में रख,अध्यात्मवाद का उजियार।

जनमानस के उर में रहते,शुद्ध रखे अपना आचार।।

संकट को अवसर में बदलें,करते सबसे मन की बात

विश्व-गुरू पहचान बनाने,योग-दिवस का दें उपहार।।


संवेदन मन से कवि मोदी,सदा श्रेष्ठ ही करें विचार।

लक्ष्य रखें आवास सभी का,उसमें जल-जीवन की धार।।

कर्मठ साधक के चिंतन में,रहता सेवक भाव प्रधान

सुख-समृद्धि कन्या को देकर,उज्ज्वला का करें प्रसार।।


निष्ठ कर्मयोगी मोदी जी,लघु विषयों का लें संज्ञान।

घर-घर में शौचालय बनते,चला स्वच्छ भारत अभियान।।

बना योजना जनधन की वह,निम्न वर्ग को देते लाभ

अंत्योदय का सपना लेकर,कृषकों का करते सम्मान।।


प्रगति हेतु भारत की लेते,भांति-भांति के कार्य प्रभार।।

मुद्रा बंदी के निर्णय से,काले धन पर किया प्रहार।।

सजा दिए भ्रष्टाचारी को,नष्ट करें सारे अपराध

दूर-दृष्टि रख काल-प्रवर्तक,चलते मन में ले अंगार।।


अच्छे दिन डिजिटल भारत के,देख रहा अब पूरा तंत्र।

साथ विकास सभी का करना,दिया आत्मनिर्भरता यंत्र।।

रद्द तीन सौ सत्तर धारा,एक असंभव अद्भुत कार्य

भाव लिए सामाजिक समता,राष्ट्रवाद का देते मंत्र।। 


अमृत संकल्प लिए मोदी जी,अर्थ व्यवस्था पर दें जोर।

गर्व विरासत पर करते हैं,लोकतंत्र की पकड़े डोर।।

युवा शक्ति के साहस बल से,विकसित भारत का है स्वप्न

आँख मिला जग की आँखों से,लक्ष्य भेदते चारों ओर।।


उचित विदेश-नीति मोदी की,भारत को देती सम्मान।

अंतरिक्ष में मंगलमय सब,नाद फूँकते जय विज्ञान।।

विश्व पटल पर ऊँचे कद में,उत्तम वक्ता का वैशिष्ट्य

सूर्य उगाते नित्य सवेरे,रग-रग में रख हिंदुस्तान।।


एक शेर चीते से देता,प्रकृति संतुलन का संदेश।

युगदृष्टा युग को देख रहा,और सुधार रहा परिवेश।।

मंथन चिंतन सतत करें वो,अथक परिश्रम कर दिन रात

नवनिर्माण राष्ट्र का करने,लगे हुए हैं दिव्य युगेश।।


जनता को स्वस्थ निरोगी कर,करें देश को आयुष्मान।

एक राष्ट्र में कर समान कर, क्रय विक्रय करते आसान।।

क्षेत्र अछूता नहीं बचा अब,नहीं पड़ी हो उनकी दृष्टि

अनुशासित जीवन शैली में,उच्च कोटि का रखते ज्ञान।।


त्वरित फैसले में सक्षम हैं,भावी पल की सोचें बात।

सत्य सनातन दृढ़ इच्छा से,देश-भक्ति जग में विख्यात।।

अक्षय ऊर्जा रख अक्षत हों,युग संचालक चौकीदार

भाग्यवान हम भारतवासी,पाएँ जब नित सुखद प्रभात।।


अनिता सुधीर आख्या 

लखनऊ

2 comments:

  1. युगपुरुष मोदी जी पर केंद्रित अतीव सुंदर सर्जना आदo। विस्तृत जानकारी क साथ वंदनीय नेह पुष्पांजलि। 🌺हार्दिक बधाई सुलेखनी✍️ को।🌹🌺🌹

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