शारदीय नवरात्रि का,आज हुआ आरम्भ फिर।
जगजननी करिये कृपा,तभी मिटे उर दंभ फिर।।
शक्ति रूप की साधना,शुभ फलदायक जानिए।
दुर्गा नौ अवतार को,उन्नति का पथ मानिए।।
योग साधना चक्र की,मन हो मूलाधार में।
शंकर की अर्धांगिनी,चेतन के संचार में।।
शैल पुत्री के रूप को,प्रथम दिवस में पूजते।
घटस्थापना देख के,मन मंदिर फिर गूँजते।।
पर्वत की बेटी धरे,अर्ध चंद्र को शीश पर।
कमल पुष्प त्रिशूल लिए,आओ नंदी बैल पर।।
कुमकुम चावल पुष्प से ,करें मातु आराधना।
पापनाशिनी पाप हर,भवबंधन से तारना ।।
अनिता सुधीर आख्या
माँ शैल पुत्री को सादर नमन । सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बधाई
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