सावन गीत
बरसे मेघा बरसी अँखियाँ,
सावन हिय को तड़पाये।
धरती पर फैला सन्नाटा,
तम के बादल हैं छाए ।।
बाग बगीचे सूने लगते,
झूले मौन बुलाते हैं
याद सताती सखियों की अब,
कँगना शोर मचाते हैं
कजरी घेवर को मन तरसे,
तीजों पर काले साए।।
कांवड़िया यह राह देखता,
कैसे अब अभिषेक करें
दुग्ध धार गंगाजल अर्पण
आक धतूरा शीश धरें
बिल्व पत्र शंकर को प्यारा,
उनको अर्पण कर आए
विपदा चारों ओर खड़ी है,
बम बम भोले कष्ट हरो
नृत्य दिखा कर तांडव फिर से,
धरती के दुख दूर करो
सावन में मन की हरियाली,
लौट लौट फिर आ जाए
अनिता सुधीर
बरसे मेघा बरसी अँखियाँ,
सावन हिय को तड़पाये।
धरती पर फैला सन्नाटा,
तम के बादल हैं छाए ।।
बाग बगीचे सूने लगते,
झूले मौन बुलाते हैं
याद सताती सखियों की अब,
कँगना शोर मचाते हैं
कजरी घेवर को मन तरसे,
तीजों पर काले साए।।
कांवड़िया यह राह देखता,
कैसे अब अभिषेक करें
दुग्ध धार गंगाजल अर्पण
आक धतूरा शीश धरें
बिल्व पत्र शंकर को प्यारा,
उनको अर्पण कर आए
विपदा चारों ओर खड़ी है,
बम बम भोले कष्ट हरो
नृत्य दिखा कर तांडव फिर से,
धरती के दुख दूर करो
सावन में मन की हरियाली,
लौट लौट फिर आ जाए
अनिता सुधीर
सुन्दर और सामयिक रचना।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 जुलाई 2020 को साझा की गयी है.......http://halchalwith5links.blogspot.com/ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteसुंदर रचना सखी।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteवाह!लाजवाब सृजन सखी ।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार सखी
ReplyDeleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteआपकी यह प्रार्थना बहुत ही सुंदर है। भगवान जी हमारी विनती शीघ्र सुन लें और इस महामारी को भगा दें।
जी बम बम भोले कष्ट दूर करें
Deleteसुंदर रचना के लिये आभार।
ReplyDeleteसामायिक परिस्थितियों को आधार बनाकर बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteअभिनव रचना।
बहुत सुंदर गीत सखी
ReplyDeleteआभार सखी
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