Sunday, July 5, 2020

गुरु



*गुरु*

दोहा छन्द गीत
**
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
****
अनगढ़ माटी के घड़े,उत्तम देते ढाल ,
नींव दिये संस्कार की ,नैतिक होगा काल।
पहले गुरु माता पिता,दूजा ये संसार।
सद्गुरु का जो साथ हो,जीवन धन्य अपार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
***
दूर करें मन का तमस,करें दुखों का नाश।
अध्यातम की लौ जला,उर में भरे प्रकाश।
गुरु बिन ये मन कब सधे,भरे ज्ञान भंडार।
मिलता गुरु आशीष जब,भवसागर से पार ।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
***
श्रद्धा अरु विश्वास से ,चित्त साध लें आज।
पथ प्रशस्त करिये सदा ,पूरन मङ्गल काज।
बिना आपके कुछ नहीं,गुरु जीवन आधार।
अन्तस उजियारा करे,महिमा अपरम्पार।
गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
****

अनिता सुधीर आख्या

10 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (7 -7 -2020 ) को "गुरुवर का सम्मान"(चर्चा अंक 3755) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  2. गुरू पूर्णिमा पर रची गई सुन्दर प्रस्तुति।

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  3. गुरुओं को समर्पित रचना

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  4. गुरु की महिमा का बहुत ही सुंदर गुणगान ,सादर नमन अनीता जी

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  5. दूर करें मन का तमस,करें दुखों का नाश।
    अध्यातम की लौ जला,उर में भरे प्रकाश।
    गुरु बिन ये मन कब सधे,भरे ज्ञान भंडार।
    मिलता गुरु आशीष जब,भवसागर से पार ।
    गुरु चरणों की वन्दना, करते बारम्बार।
    अर्पित कर श्रद्धा सुमन,हर्षित हुये अपार।
    ***
    गुरुदेव की महिमा गाती कृतज्ञ भावों से भरी रचना अनिता जी |सस्नेह शुभकामनाएं|

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